अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने अमेरिका की वैश्विक छवि और सैन्य प्रतिष्ठा को लेकर एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाने की तैयारी कर ली है। व्हाइट हाउस की ओर से हाल ही में जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप जल्द ही रक्षा विभाग (Department of Defense) का नाम बदलने वाले हैं। नए प्रस्ताव के अनुसार, इस विभाग को अब “युद्ध विभाग” (Department of War) के नाम से जाना जाएगा।
यह फैसला ऐसे समय में सामने आया है जब दुनिया में सामरिक तनाव तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में चीन द्वारा आयोजित विक्ट्री परेड में उन्नत हथियारों और सैन्य शक्ति का खुलकर प्रदर्शन किया गया, जिससे पूरी दुनिया के साथ-साथ अमेरिका को भी एक रणनीतिक संदेश मिला। माना जा रहा है कि ट्रंप का यह कदम चीन को एक कड़ा प्रतीकात्मक जवाब देने की दिशा में उठाया गया है।
पेंटागन का नाम बदलने की तैयारी
व्हाइट हाउस ने गुरुवार को पुष्टि की कि ट्रंप एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) पर हस्ताक्षर करेंगे, जिससे पेंटागन के अधीन आने वाले रक्षा विभाग को अब "युद्ध विभाग" के रूप में एक द्वितीयक शीर्षक (secondary title) दिया जाएगा। इसका मकसद है अमेरिकी सैन्य प्रतिष्ठान को एक अधिक सक्रिय, आक्रामक और शक्तिशाली रूप में दुनिया के सामने प्रस्तुत करना।
फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम अमेरिका की ‘योद्धा छवि’ को पुनः स्थापित करने की मुहिम का हिस्सा है। यह न सिर्फ घरेलू राजनीति में ट्रंप की मजबूत राष्ट्रवादी छवि को बल देगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी यह संकेत देगा कि अमेरिका अब केवल ‘रक्षात्मक’ नहीं, बल्कि ‘आक्रामक रणनीतियों’ को भी प्राथमिकता देने वाला देश बन चुका है।
“शब्द मायने रखते हैं”
राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले भी कई बार सार्वजनिक मंचों से यह कहा है कि जब अमेरिका के पास "युद्ध विभाग" था, तब देश ने द्वितीय विश्व युद्ध जैसी बड़ी जीतें हासिल की थीं। उनके अनुसार, "द्वितीय विश्व युद्ध रक्षा विभाग के तहत नहीं, बल्कि युद्ध विभाग के तहत लड़ा गया था।" ट्रंप का मानना है कि नामों और शब्दों का असर सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि जनता और दुश्मनों की मानसिकता पर भी पड़ता है।
नया युद्ध सचिव भी तय
इस बदलाव के साथ एक और बड़ा फैसला लिया गया है – वर्तमान रक्षा सचिव पीट हेगसेथ को ही ‘युद्ध सचिव’ (Secretary of War) बनाए जाने की तैयारी है। हेगसेथ भी पहले से ही इस विचार को समर्थन दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि अमेरिका को अब सिर्फ ‘रक्षा’ तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि जरूरत पड़ने पर आक्रामक रुख भी अपनाना चाहिए।
निष्कर्ष
अमेरिका द्वारा अपने रक्षा विभाग का नाम बदलकर 'युद्ध विभाग' करना केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह एक गहरा और स्पष्ट राजनीतिक-सामरिक संदेश है। यह कदम बताता है कि ट्रंप प्रशासन अमेरिका की छवि को एक निर्णायक, आक्रामक और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में फिर से स्थापित करने की दिशा में गंभीर है। आने वाले समय में इस फैसले के वैश्विक प्रभाव और प्रतिक्रियाएं निश्चित रूप से देखने लायक होंगी।