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अफगानिस्तान में भूकंप के झटके भारत और पाकिस्तान के लिए कितने खतरनाक? क्या कहते हैं वैज्ञानिक

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Posted On:Friday, September 5, 2025

अफगानिस्तान की धरती इन दिनों लगातार भूकंप के झटकों से कांप रही है। एक सितंबर 2025 से लेकर 5 सितंबर तक, अफगानिस्तान में कुल 18 भूकंप दर्ज किए गए हैं, जिनमें से दो की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6 से अधिक रही, जबकि बाकी भूकंपों की तीव्रता 4 से 5 के बीच रही। खास बात यह है कि कुछ भूकंप इतने शक्तिशाली थे कि भारत और पाकिस्तान तक इनके झटके महसूस किए गए।

1 सितंबर का विनाशकारी भूकंप

एक सितंबर को अफगानिस्तान में आए 6.3 तीव्रता वाले भूकंप ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई। भूकंप का केंद्र जलालाबाद से 27 किलोमीटर दूर था और यह धरती के 8 से 10 किलोमीटर नीचे आया। यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि नंगरहार और कुनार जैसे प्रांतों में बड़े स्तर पर तबाही हुई। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस भूकंप में 1500 से ज्यादा लोगों की जान गई और करीब 3500 लोग घायल हुए। सैकड़ों मकान पूरी तरह ढह गए और हजारों लोग बेघर हो गए।

क्यों बार-बार आ रहे हैं भूकंप?

अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति इसे भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील बनाती है। देश हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित है, जहां भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकरा रही हैं। इस टकराव के कारण धरती के भीतर लगातार तनाव बनता है, जो समय-समय पर भूकंप के रूप में बाहर आता है। इसके अलावा यहां चमन फॉल्ट, हेरात फॉल्ट और अन्य सक्रिय फॉल्ट लाइनों के कारण भी यह इलाका लगातार खतरे में रहता है।

भारत और पाकिस्तान के लिए खतरा कितना बड़ा?

अफगानिस्तान में आने वाले भूकंपों की गहराई अक्सर 70 किलोमीटर या उससे कम होती है, जिसे भूविज्ञान में "उथली गहराई" माना जाता है। ऐसे भूकंप का प्रभाव दूर-दराज के इलाकों तक महसूस किया जा सकता है। यही कारण है कि अफगानिस्तान में आए इन झटकों को भारत और पाकिस्तान में भी महसूस किया गया।

भारत के जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्य और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और पंजाब क्षेत्र इन टेक्टोनिक प्लेट्स की टकराव सीमा के आसपास आते हैं। इसलिए ये इलाके भी भूकंप की दृष्टि से उच्च जोखिम वाले माने जाते हैं। अगर अफगानिस्तान में किसी बड़े भूकंप की तीव्रता 7 या उससे अधिक होती है, तो इसके परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान में भी भारी तबाही हो सकती है।

मिट्टी के मकान बनते हैं बड़ी समस्या

अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर घर मिट्टी और ईंटों से बनाए गए हैं, जो भूकंप के झटकों को सहन नहीं कर पाते। भूकंप आते ही ये मकान पूरी तरह ढह जाते हैं, जिससे भारी जान-माल का नुकसान होता है। आपदा प्रबंधन की सीमित व्यवस्था और संचार की कमजोर स्थिति हालात को और बिगाड़ देती है।

निष्कर्ष

अफगानिस्तान में लगातार आ रहे भूकंप केवल वहां के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए चिंता का विषय हैं। भारत और पाकिस्तान को भी चाहिए कि वे अपने संवेदनशील इलाकों में भूकंपरोधी संरचनाओं, जन जागरूकता अभियानों, और आपदा प्रबंधन उपायों को प्राथमिकता दें। क्योंकि धरती के भीतर की हलचल का असर सीमाओं से परे जाकर भी तबाही मचा सकता है।


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