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इस मुस्लिम मुल्क को मान्यता देने वाला इजराइल पहला देश, सोमालिया क्यों कर रहा विरोध?

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Posted On:Saturday, December 27, 2025

हॉर्न ऑफ अफ्रीका के भू-राजनीतिक परिदृश्य में शुक्रवार को एक बड़ा उलटफेर हुआ, जब इजराइल ने आधिकारिक तौर पर सोमालिलैंड (Somaliland) को एक स्वतंत्र और संप्रभु राज्य के रूप में मान्यता दे दी। तीन दशकों से अधिक समय से अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहे सोमालिलैंड के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत है, क्योंकि इजराइल संयुक्त राष्ट्र का वह पहला सदस्य देश बन गया है जिसने इसे औपचारिक दर्जा दिया है।

नेतन्याहू की घोषणा और अब्राहम समझौतों का विस्तार

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले की घोषणा करते हुए इसे ऐतिहासिक बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम अब्राहम समझौतों (Abraham Accords) की भावना के अनुरूप है, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में शुरू किया गया था। नेतन्याहू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर जानकारी दी कि उन्होंने और विदेश मंत्री गिदोन साआर ने सोमालिलैंड के राष्ट्रपति डॉ. अब्दिरहमान मोहम्मद अब्दुल्लाह के साथ एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

नेतन्याहू ने राष्ट्रपति अब्दुल्लाह को इजराइल की आधिकारिक यात्रा के लिए आमंत्रित करते हुए उनके नेतृत्व की सराहना की। इजराइल का इरादा केवल राजनीतिक मान्यता तक सीमित नहीं है; वह सोमालिलैंड के साथ कृषि, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था जैसे प्रमुख क्षेत्रों में व्यापक सहयोग की योजना बना रहा है।

सोमालिलैंड: एक 'वास्तविक' राष्ट्र की कहानी

सोमालिलैंड का इतिहास संघर्ष और स्थिरता की एक अनूठी कहानी है:

  • विभाजन: 1991 में सोमालिया की केंद्र सरकार के पतन और भीषण गृहयुद्ध के बाद सोमालिलैंड ने खुद को अलग घोषित कर दिया था।

  • स्वतंत्र कार्यप्रणाली: हालांकि दुनिया इसे सोमालिया का हिस्सा मानती रही, लेकिन सोमालिलैंड पिछले 30 वर्षों से एक स्वतंत्र देश की तरह काम कर रहा है। इसकी अपनी मुद्रा, पासपोर्ट, चुनी हुई सरकार और अपनी सुरक्षा सेना है।

  • भौगोलिक स्थिति: लगभग 60 लाख की आबादी वाला यह क्षेत्र अदन की खाड़ी के तट पर स्थित है, जिसकी सीमाएं इथियोपिया, जिबूती और सोमालिया से लगती हैं। सोमालिया के अशांत इलाकों की तुलना में सोमालिलैंड को अपेक्षाकृत शांत और स्थिर माना जाता है।

कूटनीतिक तूफान और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इजराइल के इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। सोमालिया इसे अपनी क्षेत्रीय अखंडता पर हमला मानता है और लंबे समय से इसका विरोध करता रहा है।

इस फैसले की प्रतिक्रिया में मिस्र ने कड़ी आपत्ति जताई है। मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलअत्ती ने सोमालिया, तुर्की और जिबूती के अपने समकक्षों से बात की और इस घटनाक्रम को "खतरनाक" बताया। इन देशों का तर्क है कि अलगाववादी क्षेत्रों को इस तरह की मान्यता देना अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है और इससे अफ्रीका के अन्य क्षेत्रों में भी अलगाववाद को बढ़ावा मिल सकता है।

इस फैसले के मायने

इजराइल के लिए सोमालिलैंड को मान्यता देना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। लाल सागर और अदन की खाड़ी के पास सोमालिलैंड की उपस्थिति इजराइल को समुद्री सुरक्षा और व्यापारिक मार्गों पर अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद कर सकती है। वहीं, सोमालिलैंड के लिए इजराइल जैसी वैश्विक शक्ति का समर्थन अन्य देशों द्वारा मान्यता दिए जाने के द्वार खोल सकता है।

निष्कर्ष

इजराइल का यह कदम हॉर्न ऑफ अफ्रीका में एक नए युग की शुरुआत कर सकता है। जहाँ एक ओर सोमालिलैंड के लिए यह अंतरराष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल होने का सुनहरा अवसर है, वहीं दूसरी ओर यह क्षेत्र में नए राजनयिक तनावों को जन्म दे सकता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अन्य देश भी इजराइल की राह पर चलते हैं या सोमालिया और उसके सहयोगियों का दबाव इस नई साझेदारी को प्रभावित करता है।


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