अमेरिका के अलास्का शहर में एक दर्दनाक लेकिन चमत्कारी घटना घटी, जब पाइपर PA-12 सुपर क्रूजर विमान एक जमी हुई झील में क्रैश हो गया। इस हादसे में पायलट और दो बच्चों की जान बचाने का श्रेय एक व्यक्ति की सूझबूझ को जाता है। तीनों ने माइनस तापमान में पूरी रात विमान के पंखों पर बिताई, और अंततः मदद मिलने पर उनकी जान बच सकी।
क्रैश के बाद 12 घंटे तक जीवन और मौत की जंग
अलास्का के सोल्डोटना के पास तुस्तुमेना झील पर यह हादसा 23 मार्च 2025 को हुआ। हादसे के तुरंत बाद, पायलट और दोनों बच्चे घने अंधेरे और हड्डी जमा देने वाली ठंड में विमान के पंखों पर बैठे रहे। माइनस तापमान में खुले आसमान के नीचे इतनी लंबी रात गुजारना किसी चमत्कार से कम नहीं था।
फेसबुक पोस्ट बनी जीवन रक्षक
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस विमान में तीन लोग सवार थे और हादसे के बाद वे लापता हो गए थे। 24 मार्च को एक तस्वीर सामने आई, जिसमें बर्फ में डूबा हुआ विमान दिखाई दिया। इस तस्वीर में तीन लोग विमान के पंखों पर बैठे नजर आ रहे थे। यह तस्वीर फेसबुक पर पोस्ट की गई थी, जिसके बाद उनकी तलाश शुरू हुई।
टेरी गोडेस की सतर्कता से हुआ चमत्कार
रविवार की रात टेरी गोडेस नाम के व्यक्ति ने फेसबुक स्क्रॉल करते समय यह तस्वीर देखी। पोस्ट में लापता विमान को खोजने की अपील की गई थी। टेरी ने तुरंत कदम उठाया और सोमवार की सुबह तक तुस्तुमेना झील के किनारे पहुंच गया। जब उसने विमान का मलबा देखा, तो एक पल के लिए लगा कि वह देर कर चुका है। लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बढ़ा, उसने देखा कि तीनों जीवित थे और हाथ हिला रहे थे। टेरी ने उन्हें गर्म कपड़े और खाना दिया, जिसके बाद उन्होंने राहत की सांस ली। इसके बाद टेरी ने रेडियो सिग्नल के जरिए बचाव दल को सूचना दी।
रेस्क्यू ऑपरेशन: तीनों को सुरक्षित निकाला गया
अलास्का नेशनल गार्ड की रेस्क्यू टीम तुरंत हरकत में आई और जल्द ही तीनों को बचाने में सफल रही। उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई गई।टेरी ने बताया कि उन्हें शुरू में यकीन नहीं था कि वे विमान को खोज निकालेंगे, लेकिन मात्र एक घंटे के अंदर वे तीनों तक पहुंच गए थे। अलास्का स्टेट ट्रूपर्स ने भी इस बचाव अभियान की सराहना की।
बर्फीली रात में जीवित रहने की अनूठी कहानी
तीनों लोगों ने रातभर जमा देने वाली ठंड, अंधेरा और तेज हवाओं का सामना किया। बिना किसी संसाधन के वे हवाई जहाज के पंखों पर बैठे रहे। यह किसी चमत्कार से कम नहीं कि वे जीवित बच सके। इस हादसे और बचाव अभियान ने एक बार फिर दिखाया कि संकट के समय में सूझबूझ और हिम्मत से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।