भारतीय क्रिकेट के लिए यह खबर किसी बड़े धमाके से कम नहीं है। महीनों की अनिश्चितता, चोट के साथ संघर्ष और भविष्य को लेकर लग रही अटकलों पर अब विराम लगता नजर आ रहा है। भारत के अनुभवी और घातक तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी एक बार फिर नीली जर्सी में वापसी के लिए तैयार हैं। ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, चयनकर्ता न केवल उन्हें आगामी सीरीज के लिए देख रहे हैं, बल्कि 2027 वनडे वर्ल्ड कप की योजनाओं में भी उन्हें शामिल किया जा सकता है।
फिटनेस की चुनौती और वापसी की राह
35 वर्षीय मोहम्मद शमी ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच मार्च 2025 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान खेला था। उस टूर्नामेंट में वे भारत के सबसे सफल गेंदबाजों में से एक रहे थे। हालांकि, उसके बाद फिटनेस की समस्याओं ने उन्हें टीम से बाहर रखा।
BCCI के सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, चयनकर्ता शमी के घरेलू प्रदर्शन पर पैनी नजर रख रहे हैं। सूत्र ने स्पष्ट किया, "मोहम्मद शमी चयन की दौड़ से कभी बाहर नहीं थे। चिंता केवल उनकी फिटनेस को लेकर थी। उनकी काबिलियत का गेंदबाज किसी भी परिस्थिति में विकेट निकाल सकता है। वे न्यूजीलैंड के खिलाफ होने वाली वनडे सीरीज के लिए पूरी तरह फिट नजर आ रहे हैं और यदि उन्हें टीम में शामिल किया जाता है, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।"
घरेलू क्रिकेट में मचाया तहलका
शमी ने टीम इंडिया में वापसी के लिए केवल अपने नाम या अनुभव का सहारा नहीं लिया है, बल्कि मैदान पर अपने प्रदर्शन से दरवाजा खटखटाया है। उनके हालिया आंकड़े गवाही देते हैं कि उनमें अभी बहुत क्रिकेट बाकी है:
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सफेद गेंद क्रिकेट: पिछले छह मैचों (विजय हजारे और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी मिलाकर) में उन्होंने 17 विकेट चटकाए हैं।
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रणजी ट्रॉफी: रेड बॉल क्रिकेट में भी उनकी धार कम नहीं हुई है। इस सीजन के मात्र चार मैचों में उन्होंने 20 विकेट झटके हैं।
यह प्रदर्शन साबित करता है कि शमी की 'सीम पोजिशन' और गेंद को हवा में लहराने की कला आज भी उतनी ही प्रभावी है, जितनी पहले थी।
2027 वर्ल्ड कप: अनुभव की जरूरत
मोहम्मद शमी की वापसी को लेकर सबसे दिलचस्प बात 2027 वर्ल्ड कप का जिक्र है। दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और नामीबिया में होने वाले इस विश्व कप के समय शमी 37-38 साल के होंगे। लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपनी फिटनेस पर काम किया है, बोर्ड को लगता है कि बड़े टूर्नामेंट्स में उनके अनुभव का कोई विकल्प नहीं है।
अर्शदीप सिंह और मोहम्मद सिराज जैसे युवा गेंदबाजों के साथ शमी का मार्गदर्शन टीम के तेज गेंदबाजी आक्रमण को बेहद संतुलित बना सकता है। विशेष रूप से नॉकआउट मैचों में शमी की विकेट लेने की क्षमता भारत के लिए 'एक्स-फैक्टर' साबित हो सकती है।
भविष्य की रणनीति
न्यूजीलैंड के खिलाफ होने वाली आगामी वनडे सीरीज शमी के लिए 'एसिड टेस्ट' जैसी होगी। यदि वे वहां अपनी फिटनेस और लय साबित कर देते हैं, तो उनका रास्ता सीधे मिशन 2027 की ओर खुल जाएगा। क्रिकेट फैंस के लिए यह सुखद अहसास है कि वह गेंदबाज जिसने भारत को कई यादगार जीत दिलाईं, वह एक बार फिर अपने पुराने अंदाज में दहाड़ने को तैयार है।