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सभी ट्रेनों को पछाड़ने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस कब पैसेंजर ट्रेन के पीछे हो जाती है, आखिर ऐसा क्यों होता है?

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Posted On:Wednesday, December 31, 2025

भारतीय रेल की शान और तकनीक का बेजोड़ नमूना 'वंदे भारत एक्सप्रेस' आज देश की सबसे पसंदीदा ट्रेन बन चुकी है। अपनी सेमी-हाई स्पीड, अत्याधुनिक सुविधाओं और कम समय में सफर पूरा करने की क्षमता के कारण इसे 'ट्रैक का राजा' माना जाता है। सामान्य दिनों में रेलवे का परिचालन तंत्र इस तरह काम करता है कि वंदे भारत को प्राथमिकता (Priority) दी जाती है, जिससे अन्य ट्रेनों को रोककर इसे पहले निकाला जाता है। लेकिन, एक समय ऐसा भी आता है जब इस शाही ट्रेन को मजबूरन एक साधारण पैसेंजर ट्रेन की रफ्तार से उसके पीछे-पीछे चलना पड़ता है।

कोहरे का कहर और थमती रफ्तार

ठंड के मौसम में जब उत्तर भारत और देश के अन्य हिस्से घने कोहरे की चादर में लिपटे होते हैं, तब वंदे भारत की रफ्तार पर भी ब्रेक लग जाता है। हाल ही में वाराणसी से दिल्ली आने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को अपने गंतव्य तक पहुँचने में 16 घंटे लग गए, जो इसकी सामान्य समय सीमा से कहीं अधिक है। इसका मुख्य कारण रेलवे के वे कड़े सुरक्षा नियम हैं जो खराब दृश्यता (Visibility) के दौरान लागू किए जाते हैं।

रेलवे के सुरक्षा नियम: क्यों पिछड़ जाती है वंदे भारत?

भारतीय रेलवे के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार के अनुसार, कोहरे के दौरान रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता 'यात्रियों की सुरक्षा' होती है। कोहरे में परिचालन के कुछ विशेष नियम हैं जो वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों पर भी लागू होते हैं:

  • क्रमवार परिचालन (Sequence Running): कोहरे के दौरान जो ट्रेन जिस क्रम में चल रही होती है, उसे उसी क्रम में आगे बढ़ने दिया जाता है। चूंकि दृश्यता बहुत कम होती है, इसलिए किसी पैसेंजर या मालगाड़ी को रोककर वंदे भारत को आगे निकालने का जोखिम नहीं लिया जाता। ऐसे में यदि वंदे भारत के आगे कोई पैसेंजर ट्रेन है, तो उसे उसी की धीमी गति का अनुसरण करना पड़ता है।

  • लूप लाइन का सीमित उपयोग: सामान्य दिनों में धीमी ट्रेनों को लूप लाइन पर खड़ा करके तेज ट्रेनों को पास दिया जाता है। लेकिन घने कोहरे में सिग्नल और ट्रैक स्विचिंग की जटिलता के कारण लूप लाइन का उपयोग टाल दिया जाता है, ताकि किसी भी मानवीय या तकनीकी चूक की संभावना न रहे।

  • दृश्यता आधारित गति: लोको पायलट को निर्देश होते हैं कि यदि कोहरा बहुत घना है, तो ट्रेन की गति 30 से 60 किमी प्रति घंटा के बीच ही रखी जाए, चाहे वह वंदे भारत ही क्यों न हो।

दिल्ली-हावड़ा रूट पर सबसे अधिक चुनौती

आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में देशभर में 164 वंदे भारत सेवाएं संचालित हो रही हैं, जो 274 जिलों को जोड़ती हैं। रेलवे के मुताबिक, कोहरे के दौरान सबसे ज्यादा परेशानी दिल्ली-हावड़ा रूट पर आती है। इस व्यस्त मार्ग पर कुल 6 वंदे भारत ट्रेनें चलती हैं और सर्दियों में यह इलाका सबसे घने कोहरे की चपेट में रहता है। मार्ग पर ट्रेनों का दबाव अधिक होने और सुरक्षा प्रोटोकॉल के कारण वंदे भारत की 'सेमी-हाई स्पीड' की पहचान कोहरे के सामने फीकी पड़ जाती है।


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