भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शुक्रवार को अडानी ग्रुप के लिए एक बड़ी राहत की खबर दी है। सेबी ने अडानी ग्रुप की कई कंपनियों के निदेशक और उद्योगपति गौतम अडानी के भतीजे प्रणव अडानी को कीमत से जुड़ी संवेदनशील सूचनाएं साझा करने और इनसाइडर ट्रेडिंग (Insider Trading) नियमों के उल्लंघन के आरोपों से बरी कर दिया है। उनके दो अन्य रिश्तेदारों, कुणाल धनपाल भाई शाह और निरुपल धनपाल भाई शाह, को भी इन आरोपों से मुक्त कर दिया गया है।
यह मामला इस बात की जाँच पर केंद्रित था कि क्या प्रणव अडानी ने अडानी ग्रीन एनर्जी (AGEL) द्वारा एसबी एनर्जी (SB Energy) के अधिग्रहण से जुड़े गोपनीय और मूल्य-संवेदनशील विवरण सार्वजनिक होने से पहले किसी के साथ साझा किए थे।
इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप और कारण बताओ नोटिस
इस मामले की जाँच के लिए, सेबी ने 28 जनवरी 2021 से 20 अगस्त 2021 के बीच अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में हुए कारोबार की गहन पड़ताल की।
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जांच का निष्कर्ष: नवंबर 2023 में जांच रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद, सेबी को यह संदेह हुआ कि इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों का उल्लंघन हो सकता है।
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नोटिस जारी: इसके आधार पर, प्रणव अडानी, कुणाल धनपाल भाई शाह, और निरुपल धनपाल भाई शाह को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
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आरोप: प्रणव अडानी पर आरोप था कि उन्होंने अप्रकाशित मूल्य-संवेदनशील जानकारी (Unpublished Price Sensitive Information - UPSI) साझा की। जबकि शाह बंधुओं (कुणाल और निरुपल) पर आरोप था कि उन्होंने इस अंदरूनी सूचना का उपयोग करके अवैध रूप से लाभ कमाया। ये आरोप नवंबर 2023 में जारी कारण बताओ नोटिस में दर्ज किए गए थे।
सेबी का 50 पेज का अंतिम आदेश
कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद, सेबी ने विस्तृत जांच जारी रखी। विस्तृत जांच के बाद, सेबी को ऐसा कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित हो सके कि प्रणव अडानी ने किसी भी तरह की गोपनीय जानकारी शेयर की हो, या शाह बंधुओं ने अंदरूनी जानकारी के आधार पर कारोबार किया हो।
सेबी ने अपने 50-पेज के आदेश में निम्नलिखित निष्कर्ष दिए:
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सूचना का अभाव: सेबी ने पाया कि 16 मई 2021 को हुई कॉल का उद्देश्य प्रणव द्वारा कोई गोपनीय जानकारी साझा करना नहीं था।
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वास्तविक लेनदेन: नियामक ने निष्कर्ष निकाला कि कुणाल और निरुपल के लेनदेन वास्तविक (Real) थे और वे कंपनी या उसकी सिक्योरिटीज से संबंधित किसी भी गोपनीय जानकारी से प्रभावित नहीं थे।
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निष्कर्ष: रेगुलेटर ने निष्कर्ष निकाला कि लगाए गए आरोप सही नहीं ठहराए जा सकते। चूंकि लेनदेन वास्तविक थे, इसलिए कोई जुर्माना या निर्देश जारी करना आवश्यक नहीं है।
सेबी के इस विस्तृत और अंतिम आदेश से प्रणव अडानी और उनके रिश्तेदारों पर लगे इनसाइडर ट्रेडिंग के सभी आरोप समाप्त हो गए हैं, जिससे अडानी ग्रुप को इस महत्वपूर्ण नियामक जाँच से बड़ी राहत मिली है।