अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अगुवाई में इज़रायल और हमास के बीच चल रही शांति वार्ता के बीच एक दुखद खबर सामने आई है. हमास द्वारा इज़रायली बंधकों की रिहाई की सूची में नेपाली हिंदू छात्र बिपिन जोशी का नाम शामिल नहीं है, क्योंकि उसकी हत्या कर दी गई है. इज़रायल में नेपाल के राजदूत धन प्रसाद पंडित ने इस खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि हमास ने बिपिन का शव इज़रायली सेना को सौंप दिया है. धन प्रसाद पंडित के अनुसार, "हमास ने बिपिन जोशी का शव इज़रायली सेना को सौंपा है. उसे तेल अवीव (इज़रायल की राजधानी) लाया जा रहा है."
हमास ने चार बंधकों के शव सौंपे
इज़रायली सेना के प्रवक्ता एफी डेफ्रिन ने पुष्टि की है कि हमास ने कुल चार बंधकों के शव सौंपे हैं, जिनमें बिपिन जोशी का शव भी शामिल है. यह सभी बंधक हमास की कैद में थे और उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया. बिपिन जोशी के शव को नेपाली अधिकारियों को सौंपने से पहले डीएनए टेस्टिंग की जाएगी ताकि पहचान सुनिश्चित हो सके. नेपाली दूतावास की देखरेख में बिपिन का अंतिम संस्कार इज़रायल में ही किया जाएगा.
पढ़ाई के लिए गया था इज़रायल
नेपाल के एक छोटे से गाँव से ताल्लुक रखने वाला बिपिन जोशी सितंबर 2023 में 16 अन्य छात्रों के साथ कृषि से जुड़ी पढ़ाई के लिए इज़रायल गया था. ये सभी छात्र गाजा बॉर्डर के पास किबुत्ज अलुमिम में थे. 7 अक्टूबर 2025 की रात को जब हमास ने इज़रायल पर हमला किया, तो बिपिन को बंधक बना लिया गया था. कैद किए गए लोगों में बिपिन एकमात्र हिंदू थे.
बिपिन की बहादुरी से बची कई जानें
बिपिन की मौत की खबर भले ही दुखद है, लेकिन उसकी बहादुरी की कहानी अब सामने आ रही है. 7 अक्टूबर की रात जब हमास ने दक्षिणी इज़रायल पर बमबारी शुरू की और सायरन बजने लगे, तो सभी छात्र अपनी जान बचाने के लिए एक बंकर में छिप गए थे. तभी, हमास के लड़ाकों ने बंकर में दो ग्रेनेड फेंके. पहला ग्रेनेड फटने से कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए. इसी दौरान, बिपिन ने असाधारण बहादुरी दिखाते हुए दूसरा ग्रेनेड उठाया और उसे बंकर से बाहर फेंक दिया. इस त्वरित कार्रवाई से बंकर में मौजूद कई अन्य छात्रों की जान बच गई. हालांकि, इस बहादुरी के तुरंत बाद हमास के लड़ाकों ने बिपिन को पकड़ लिया और उसे अपने साथ गाजा ले गए.
इज़रायली सेना ने बाद में गाजा की एक वीडियो भी जारी की थी, जिसमें बिपिन को घायल अवस्था में घसीटकर गाजा के एक अस्पताल में ले जाते हुए देखा गया था. इसके बाद से उसका कोई पता नहीं चला था. 26 अक्टूबर को बिपिन का 25वां जन्मदिन था, लेकिन दुर्भाग्यवश, वह उससे पहले ही इस दुनिया को अलविदा कह चुका है. उसकी शहादत को नेपाल और इज़रायल दोनों जगह याद किया जाएगा.