सऊदी अरब और पाकिस्तान जैसे कई मुस्लिम देश जहां अक्सर अमेरिका के सामने झुकते हुए दिखाई देते हैं, वहीं दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया ने अमेरिका के व्यापारिक शर्तों को मानने से साफ इनकार कर दिया है। यह झटका ऐसे समय में आया है जब अमेरिका चीन पर नकेल कसने की कोशिश कर रहा है। इंडोनेशिया ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा।
"ज़हर की गोली" प्रावधान को नकारा
फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडोनेशिया ने अमेरिका के प्रस्तावित ट्रेड डील में शामिल एक खास प्रावधान को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसे विशेषज्ञ 'पॉइजन पिल' (जहर की गोली) कह रहे हैं। जकार्ता के इस कड़े रुख के बाद अमेरिका और इंडोनेशिया के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ने की आशंका है।
इंडोनेशिया और अमेरिका में क्या है विवाद?
यह विवाद मई 2025 में शुरू हुआ, जब अमेरिका ने इंडोनेशिया पर हाई टैरिफ लगाने की धमकी दी। इसके बाद दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हुई। इसी बातचीत के दौरान, अमेरिका ने एक ऐसी शर्त रखी जिसने विवाद को जन्म दे दिया:
इस 'पॉइजन पिल' शर्त को इंडोनेशिया ने अब मानने से इनकार कर दिया है। इंडोनेशिया का तर्क है कि व्यापार समझौते के नाम पर वह अपनी विदेश नीति तय करने की संप्रभुता नहीं खो सकता। जकार्ता का यह फैसला वाशिंगटन के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर जब वह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहा है।
🇨🇳 इंडोनेशिया ने विरोध का फैसला क्यों लिया?
जहां पाकिस्तान, सऊदी अरब, कतर और तुर्की जैसे देश विभिन्न मामलों में अमेरिका के प्रति नरम रुख अपनाते रहे हैं, वहीं इंडोनेशिया का यह स्पष्ट विरोध कई सवाल खड़े करता है। इसका मुख्य कारण चीन के साथ इंडोनेशिया की मज़बूत आर्थिक और सामरिक नज़दीकी है।
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आर्थिक भागीदारी: ब्रॉडशीट एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन वर्तमान में इंडोनेशिया का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 147.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है।
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सामरिक संबंध: हाल ही में, इंडोनेशिया ने चीन के साथ जेएफ फाइटर जेट का एक बड़ा समझौता किया है।
अमेरिकी शर्तों को मानने का मतलब होता कि इंडोनेशिया को चीन के साथ अपने गहरे आर्थिक और सामरिक संबंधों को तोड़ना पड़ता। वर्तमान इंडोनेशियाई सरकार किसी भी कीमत पर यह जोखिम नहीं उठाना चाहती। अमेरिका के ख़ातिर इतना बड़ा व्यापारिक सौदा तोड़ना इंडोनेशिया के लिए व्यावहारिक नहीं है, और इसीलिए उसने अपनी संप्रभुता की रक्षा करते हुए अमेरिकी शर्तों को अस्वीकार करने का साहसी निर्णय लिया है।