भारतीय क्रिकेट टीम को साउथ अफ्रीका के खिलाफ दूसरे T20 इंटरनेशनल मैच में 51 रनों की करारी हार का सामना करना पड़ा. 214 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए, भारतीय टीम महज 162 रनों पर सिमट गई. इस हार की सबसे बड़ी वजह रही बैटिंग ऑर्डर के साथ लगातार हो रहे प्रयोग, जिसकी जड़ें मुख्य कोच गौतम गंभीर के उस बयान से जुड़ी हैं, जहां उन्होंने व्हाइट-बॉल क्रिकेट में बैटिंग पोजीशन को ‘ओवररेटेड’ बताया था.
गंभीर कई बार जोर दे चुके हैं कि ओपनर्स को छोड़कर हर बल्लेबाज को कहीं भी खेलने के लिए तैयार रहना चाहिए. इस मैच में भी यही 'फ्लेक्सिबिलिटी' देखने को मिली, जो टीम इंडिया को बुरी तरह ले डूबी.
गंभीर की सोच का नकारात्मक असर
गौतम गंभीर की इस सोच का सीधा असर इस मैच में दिखा और वह पूरी तरह नकारात्मक साबित हुआ:
-
शुभमन गिल की असफलता: लगातार फ्लॉप चल रहे शुभमन गिल को फिर से ओपनिंग दी गई, और वह पहली ही गेंद पर शून्य पर आउट हो गए, जिससे टीम शुरुआत में ही दबाव में आ गई.
-
अक्षर पटेल को नंबर-3 पर भेजना: शुरुआती विकेट गिरने के बाद, टीम को एक सेट इनफॉर्म बल्लेबाज की जरूरत थी, लेकिन आमतौर पर लोअर ऑर्डर में खेलने वाले अक्षर पटेल को नंबर-3 पर भेजा गया. वह दबाव में 21 गेंदों में सिर्फ 21 रन बनाकर आउट हुए, जिसने इस बड़े रन चेज में टीम के रन रेट को काफी पीछे धकेल दिया.
-
सूर्यकुमार और तिलक की पोजीशन: रेगुलर नंबर तीन पर खेलने वाले सूर्यकुमार यादव जब से चौथे नंबर पर आ रहे हैं, उनका हाल भी खराब है. इस मैच में भी वह 5 रन ही बना सके. वहीं, पिछले मैच में नंबर-3 पर खेलने वाले तिलक वर्मा को इस बार पांचवें नंबर पर धकेला गया. उन्होंने 62 रनों की लड़ाकू पारी जरूर खेली, लेकिन तब तक रन रेट का दबाव इतना बढ़ चुका था कि उनकी पारी भी जीत नहीं दिला पाई. अगर तिलक ऊपर आते तो शायद शुरुआती दबाव को संभाला जा सकता था.
-
शिवम दुबे का अपमान: विस्फोटक बल्लेबाज शिवम दुबे को आठवें नंबर तक गिरा दिया गया, जहां उन्हें खेलने के लिए मुश्किल से ही गेंदें मिलीं, और वह सिर्फ 1 रन बनाकर आउट हो गए.
बैटिंग ऑर्डर में स्थिरता का अभाव
इस मैच में बैटिंग ऑर्डर में जिस स्थिरता (Stability) और आत्मविश्वास की जरूरत थी, वह पूरी तरह गायब रही. हर बल्लेबाज एक नई पोजीशन पर था, जिससे कोई भी अपनी नैचुरल गेम नहीं खेल पाया. पावरप्ले में विकेट जल्दी गिरने के बाद भी कोई सेट बल्लेबाज ऊपर नहीं भेजा गया, जिससे आवश्यक रन रेट आसमान छूने लगा और विकेटों का पतन शुरू हो गया.
यह प्रयोग सिर्फ एक मैच तक सीमित नहीं है. पिछले कुछ मैचों से गिल को ओपनिंग, तिलक को 3-4-5, हार्दिक को 5-6-7 और दुबे को 7-8 नंबर तक लगातार घुमाया जा रहा है. नतीजा सामने है—बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम बार-बार लड़खड़ा रही है.
2026 T20 वर्ल्ड कप से पहले बड़ी टेंशन
2026 T20 वर्ल्ड कप अब काफी करीब है. अगर अभी से हर खिलाड़ी को उसकी सबसे मजबूत पोजीशन नहीं दी गई और उसका रोल क्लियर नहीं किया गया, तो यह अनिश्चितता टीम के लिए बहुत महंगी पड़ सकती है. गंभीर का फ्लेक्सिबिलिटी (लचीलेपन) का आइडिया सिद्धांत में अच्छा लगता है, लेकिन लगातार असफल हो रहा है.
अब समय आ गया है कि प्राथमिकता 'फिक्स्ड रोल' को दी जाए, ताकि खिलाड़ी अपनी पोजीशन और भूमिका के साथ सहज महसूस करें. वरना, हर हार के बाद यही सवाल उठता रहेगा कि आखिर खिलाड़ी अपनी असली पोजीशन पर खेल क्यों नहीं रहे हैं? अगले मैच में टीम इंडिया किस प्लान के साथ उतरती है, यह देखना दिलचस्प होगा.