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वीडियो गेम्स: लड़कों की एक पीढ़ी को बेहतर और बदतर के लिए कैसे आकार दे रहे हैं?

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Posted On:Wednesday, October 15, 2025

मुंबई, 15 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) वीडियो गेम्स आज के युवा लड़कों के जीवन का एक अपरिहार्य हिस्सा बन गए हैं। वे अब केवल मनोरंजन का एक रूप नहीं रहे, बल्कि एक ऐसा सांस्कृतिक और सामाजिक मंच बन गए हैं जो एक पूरी पीढ़ी के कौशल, व्यवहार और विश्वदृष्टि को गहरे स्तर पर प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जहां गेमिंग सहयोग और समस्या-समाधान जैसे महत्वपूर्ण कौशल विकसित करता है, वहीं इसके अत्यधिक उपयोग से सामाजिक अलगाव और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ भी पैदा हो सकती हैं।

सकारात्मक प्रभाव: कौशल विकास और सामाजिक जुड़ाव

वीडियो गेम्स के आलोचनात्मक पहलुओं पर अक्सर ध्यान केंद्रित किया जाता है, लेकिन इसके शैक्षिक और संज्ञानात्मक लाभों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

1. संज्ञानात्मक और समस्या-समाधान कौशल (Cognitive and Problem-Solving Skills)

रणनीतिक सोच: रणनीति (Strategy) गेम्स (जैसे Age of Empires, Civilization) खिलाड़ियों को जटिल समस्याओं का विश्लेषण करने, दीर्घकालिक योजनाएँ बनाने और सीमित संसाधनों का प्रबंधन करने के लिए मजबूर करते हैं। यह कौशल वास्तविक जीवन की परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है।

हाथ-आँख समन्वय (Hand-Eye Coordination): एक्शन और शूटिंग गेम्स (जैसे Call of Duty) तेजी से प्रतिक्रिया देने और बेहतर मोटर कौशल विकसित करने में मदद करते हैं।

तेज निर्णय लेना: मल्टीप्लेयर ऑनलाइन बैटल एरेना (MOBA) गेम्स में खिलाड़ियों को सेकंडों में बड़े फैसले लेने होते हैं, जिससे दबाव में सोचने और कार्य करने की उनकी क्षमता विकसित होती है।

2. सामाजिक और भावनात्मक विकास

टीमवर्क और सहयोग: ऑनलाइन मल्टीप्लेयर गेम्स (जैसे PUBG, Valorant) खिलाड़ियों को एक टीम के रूप में संवाद करने, भूमिकाएँ बाँटने और एक साझा लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सहयोग करने का अवसर प्रदान करते हैं। यह टीमवर्क और नेतृत्व (Leadership) कौशल को बढ़ावा देता है।

वैश्विक समुदाय: गेमिंग प्लेटफॉर्म दुनिया भर के लड़कों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं, जिससे वे विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के लोगों के साथ बातचीत करते हैं। यह एक व्यापक सामाजिक परिप्रेक्ष्य विकसित करता है।

नकारात्मक प्रभाव: मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार संबंधी चुनौतियाँ

गेमिंग के सकारात्मक पहलू होने के बावजूद, अत्यधिक और अनियंत्रित गेमिंग कई गंभीर चुनौतियाँ भी पेश करता है।

1. स्वास्थ्य और सामाजिक अलगाव

स्क्रीन टाइम और शारीरिक निष्क्रियता: अत्यधिक गेमिंग से लंबे समय तक बैठना पड़ता है, जिससे मोटापा, खराब मुद्रा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।

नींद की कमी: देर रात तक खेलने की आदत नींद के पैटर्न को बाधित करती है, जिससे थकान और शैक्षणिक प्रदर्शन में गिरावट आती है।

सामाजिक अलगाव: वर्चुअल दुनिया में अधिक समय बिताने से वास्तविक जीवन के दोस्त बनाने और सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने की इच्छा कम हो जाती है, जिससे सामाजिक अलगाव (Social Isolation) बढ़ता है।

2. मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार परिवर्तन

गेमिंग डिसऑर्डर: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अत्यधिक गेमिंग को गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में वर्गीकृत किया है, जो एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है। इसमें व्यक्ति अपने गेमिंग व्यवहार को नियंत्रित नहीं कर पाता।

आक्रामकता: कुछ अध्ययनों ने हिंसक वीडियो गेम्स और बढ़ी हुई आक्रामकता के बीच संबंध का सुझाव दिया है। हालाँकि, यह एक जटिल विषय है और विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि वास्तविक जीवन की हिंसा का कारण केवल गेमिंग नहीं होता।

पुरस्कार प्रणाली का प्रभाव: गेम्स में तात्कालिक पुरस्कार (instant rewards) की प्रणाली लड़कों को वास्तविक जीवन के धीमे और अधिक प्रयास वाले पुरस्कारों से कम संतुष्ट महसूस करा सकती है, जिससे धैर्य की कमी हो सकती है।


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