मुंबई, 06 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। जोधपुर हाईकोर्ट ने घर से लापता हुई 16 वर्षीय लड़की को उसके माता-पिता की अभिरक्षा में सौंप दिया है। अदालत ने यह आदेश इस शर्त पर दिया कि लड़की के 18 वर्ष की होने से पहले उसकी मर्जी के बिना उसकी शादी नहीं की जाएगी। मामला चित्तौड़गढ़ जिले के भदेसर थाना क्षेत्र के एक गांव का है, जहां याचिकाकर्ता मीना (बदला हुआ नाम) ने अपनी नाबालिग बेटी के लापता होने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 19 सितंबर को लड़की अचानक घर से गायब हो गई थी। अदालत के आदेश पर प्रशासन और पुलिस ने मिलकर उसे खोज निकाला और कोर्ट में पेश किया।
जब अदालत ने नाबालिग से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसके परिवार वाले उसकी शादी 18 वर्ष की उम्र पूरी होने से पहले ही कराना चाहते थे। इस डर से वह घर से भाग गई थी। लड़की ने यह भी कहा कि माता-पिता उसका व्यवहार सही नहीं रखते और उसकी मर्जी के खिलाफ फैसला लेना चाहते हैं। जस्टिस विनीत कुमार माथुर और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने 6 नवंबर को इस मामले पर फैसला सुनाया। अदालत ने नाबालिग के माता-पिता को फटकार लगाई और उनसे वचन लिया कि वे 18 साल की आयु पूरी होने तक उसकी सहमति के बिना उसकी शादी नहीं करेंगे। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि लड़की के माता-पिता अपनी गलती सुधारना चाहते हैं और वचन देते हैं कि आगे वे बेटी के साथ अच्छा व्यवहार करेंगे तथा उसकी शिक्षा और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेंगे। कोर्ट ने यह बयान रिकॉर्ड में दर्ज किया और लड़की की अभिरक्षा उसके माता-पिता को सौंप दी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में नाबालिग के साथ दुर्व्यवहार या जबरन शादी से जुड़ी कोई शिकायत मिलती है, तो माता-पिता के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।