ताजा खबर

पद्मश्री डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन मृत मिले, 6 दिन से घर से लापता थे मशहूर कृषि वैज्ञानिक

Photo Source :

Posted On:Tuesday, May 13, 2025

भारत के वैज्ञानिक और कृषि क्षेत्र के लिए 2025 का मई महीना एक बड़े दुख और हैरानी की खबर लेकर आया। देश के मशहूर कृषि वैज्ञानिक, मत्स्य पालन के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले और पद्मश्री सम्मानित डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन अब हमारे बीच नहीं रहे। 70 वर्षीय डॉ. अय्यप्पन का शव 13 मई को कर्नाटक के श्रीरंगपटना में कावेरी नदी से बरामद हुआ। वे 7 मई से लापता थे और उनके परिवार के साथ-साथ पूरा देश उन्हें खोज रहा था। लेकिन अब जब उनका शव नदी में मिला है, तो कई सवाल उठ खड़े हुए हैं – क्या यह आत्महत्या थी, या इसके पीछे कोई और कारण छिपा है?


कैसे हुई मौत की पुष्टि?

मैसूर के विश्वेश्वर नगर औद्योगिक क्षेत्र में रहने वाले डॉ. अय्यप्पन 7 मई को अचानक घर से निकले और फिर वापस नहीं लौटे। उनकी पत्नी और बेटियों ने उन्हें हर जगह तलाशा, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। शनिवार, 13 मई को श्रीरंगपटना के साईं आश्रम के पास कावेरी नदी में एक शव दिखा, जिसकी सूचना स्थानीय लोगों ने पुलिस को दी। पुलिस ने जब शव को बाहर निकाला, तो पहचान की प्रक्रिया में स्पष्ट हुआ कि यह शव डॉ. अय्यप्पन का है।

शव के पास उनका स्कूटर भी मिला, जिससे यह पुष्टि और मजबूत हुई। श्रीरंगपटना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और मौत की वजहों की जांच शुरू कर दी गई है। प्रारंभिक तौर पर पुलिस इसे आत्महत्या मान रही है, लेकिन अभी कोई पुख्ता निष्कर्ष नहीं निकाला गया है।


कौन थे डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन?

डॉ. अय्यप्पन का जन्म 10 दिसंबर 1955 को कर्नाटक के चामराजनगर जिले के यालांदुर में हुआ था। उन्होंने 1975 में मत्स्य विज्ञान (Fisheries Science) में ग्रेजुएशन, 1977 में मास्टर्स, और 1988 में बेंगलुरु की कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। उनका जीवन विज्ञान को समर्पित रहा और उन्होंने विज्ञान को समाज से जोड़ने का काम किया।

उनकी सबसे बड़ी पहचान भारत में "नीली क्रांति" (Blue Revolution) को बढ़ावा देने के लिए की जाती है। नीली क्रांति के तहत उन्होंने मछली पालन के पारंपरिक तरीकों को वैज्ञानिक आधार पर मजबूत किया, जिससे मत्स्यपालन ग्रामीण भारत में आजीविका का एक स्थायी साधन बन सका।


डॉ. अय्यप्पन की उपलब्धियां और पद

डॉ. अय्यप्पन ने अपने जीवन में कई अहम पदों पर काम किया, जिनमें प्रमुख रूप से:

  • सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन (CIFE), मुंबई के निदेशक

  • सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवॉटर एक्वाकल्चर (CIFA), भुवनेश्वर के निदेशक

  • हैदराबाद में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) के संस्थापक मुख्य कार्यकारी

  • कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (DARE) के सचिव

  • राष्ट्रीय परीक्षण एवं कैलिब्रेशन प्रयोगशालाओं के मान्यता बोर्ड (NABL) के अध्यक्ष

  • केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU), इंफाल के कुलपति

इन सभी पदों पर रहते हुए उन्होंने भारत के मत्स्यपालन उद्योग, वैज्ञानिक अनुसंधान और शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने भारत को मत्स्य उत्पादन में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल करने में मदद की।


पद्मश्री से सम्मानित: योगदान को मिला राष्ट्रीय सम्मान

भारत सरकार ने डॉ. अय्यप्पन के कार्यों को सम्मान देते हुए उन्हें 2022 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा। यह सम्मान न सिर्फ उनके वैज्ञानिक योगदान की पहचान था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार एक वैज्ञानिक समाज के जमीनी स्तर तक बदलाव ला सकता है।

उनकी सोच यह थी कि मछली पालन केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने का माध्यम बन सकता है। उन्होंने नई तकनीकों को सरल भाषा में किसानों तक पहुंचाया और देश के कोने-कोने में मत्स्य पालन को लोकप्रिय बनाया।


मौत पर उठे सवाल

हालांकि पुलिस शुरुआती जांच में इसे आत्महत्या मान रही है, लेकिन डॉ. अय्यप्पन के जानने वाले और वैज्ञानिक समुदाय में कई लोग इस थ्योरी से संतुष्ट नहीं हैं। उनका मानना है कि डॉ. अय्यप्पन मानसिक रूप से बेहद मजबूत व्यक्ति थे और जीवन को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण रखते थे।

तो फिर सवाल उठता है:

  • क्या वे किसी मानसिक तनाव से गुजर रहे थे?

  • क्या यह केवल एक दुर्घटना थी?

  • क्या इसमें कोई गहरी साजिश छिपी हो सकती है?

इन सवालों के जवाब अब पुलिस जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर निर्भर करेंगे।


परिवार और वैज्ञानिक समुदाय में शोक

डॉ. अय्यप्पन अपने पीछे पत्नी और दो बेटियों को छोड़ गए हैं। परिवार इस घटना से टूट चुका है। वैज्ञानिक समुदाय और कृषि संस्थानों में गहरा शोक और दुख है। ICAR, NFDB, CIFE, CIFA जैसे संस्थानों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

सोशल मीडिया पर भी हजारों लोगों ने उन्हें याद किया और उनके योगदान को नमन किया। लोग मांग कर रहे हैं कि इस घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।


एक वैज्ञानिक की विरासत

डॉ. अय्यप्पन की मौत भले ही दुखद है, लेकिन उनकी विरासत अमर है। उन्होंने जो कार्य किए, वह आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन करते रहेंगे। मछली पालन की जिस तकनीक को उन्होंने विकसित किया, वह आज भी भारत के लाखों किसान-मत्स्यपालकों के जीवन को बदल रही है।

उनकी सोच थी कि विज्ञान केवल प्रयोगशाला में सीमित न रह जाए, बल्कि गांव, खेत और तालाब तक पहुंचे। यही सोच उन्हें एक वैज्ञानिक से अधिक, एक समाजसेवी बनाती है।


निष्कर्ष: विज्ञान के सच्चे सेवक को श्रद्धांजलि

भारत ने एक ऐसा वैज्ञानिक खो दिया है, जिसने मछली पालन को सम्मानजनक और वैज्ञानिक व्यवसाय बनाया। उन्होंने सैकड़ों वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित किया, हजारों किसानों को आत्मनिर्भर बनाया, और देश को मत्स्य उत्पादन में अग्रणी बनाया।

उनकी रहस्यमयी मौत दुखद है, लेकिन उनकी उपलब्धियां प्रेरणास्रोत हैं। उनकी यादें, शिक्षाएं और तकनीकी योगदान हमेशा जीवित रहेंगे

डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन को विनम्र श्रद्धांजलि।


भोपाल और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. Bhopalvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.