भारतवासियों के लिए यह गर्व और खुशखबरी की बात है कि भारत अब दुनिया में सबसे ज़्यादा ऑनलाइन लेनदेन (Digital Transactions) करने वाला देश बन गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की नई रिपोर्ट ‘बढ़ते खुदरा डिजिटल भुगतानः अंतर-संचालनीयता का मूल्य’ (The Rise of Retail Digital Payments: The Value of Interoperability) के अनुसार भारत ने डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में ऐतिहासिक छलांग लगाई है।
भारत में डिजिटल पेमेंट की लोकप्रियता और सफलता की कहानी महज एक तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि एक डिजिटल क्रांति है। खासतौर से UPI (Unified Payments Interface) के ज़रिए भारत में हर महीने 18 अरब से ज्यादा लेनदेन हो रहे हैं। यह आंकड़ा दुनिया के कई विकसित देशों से कहीं अधिक है।
IMF रिपोर्ट में भारत की उपलब्धि
IMF की रिपोर्ट के अनुसार:
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भारत दुनिया का नंबर 1 देश बन गया है डिजिटल लेनदेन के मामले में।
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UPI सिस्टम भारत की डिजिटल सफलता की रीढ़ बन चुका है।
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जून 2024 में 18.39 अरब लेनदेन दर्ज किए गए।
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जून 2023 में यह आंकड़ा 13.88 अरब था — यानी 32% की सालाना वृद्धि हुई है।
इस तरह से भारत ने न केवल अपने नागरिकों के लिए डिजिटल भुगतान को आसान बनाया है, बल्कि पूरे वैश्विक फिनटेक क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है।
UPI क्या है?
यूपीआई (Unified Payments Interface) को 2016 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य था लोगों को बिना बैंक जाए, सिर्फ एक ऐप के जरिए रीयल टाइम मनी ट्रांसफर की सुविधा देना।
UPI की प्रमुख विशेषताएं:
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बैंक खाते को मोबाइल ऐप से जोड़ना।
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QR कोड, मोबाइल नंबर या UPI ID से ट्रांजैक्शन।
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24x7 रीयल-टाइम ट्रांसफर।
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एक ही ऐप से कई बैंक खातों का संचालन।
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बेहद आसान और सुरक्षित तरीका।
आज UPI के कारण ही भारत में कार्ड और कैश आधारित ट्रांजैक्शन में भारी गिरावट देखी गई है।
भारत के बाहर भी फैला UPI का जादू
UPI सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। आज यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रियता हासिल कर चुका है।
इन 7 देशों में UPI सेवा उपलब्ध है:
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संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
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सिंगापुर
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भूटान
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नेपाल
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श्रीलंका
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फ्रांस
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मॉरीशस
अब जब आप इन देशों में जाते हैं, तो भारतीय बैंक खाते से सीधे UPI के ज़रिए पेमेंट कर सकते हैं। फ्रांस में यह सुविधा खासतौर पर भारतीय पर्यटकों और छात्रों के लिए वरदान साबित हो रही है।
UPI के बढ़ते आंकड़े
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491 मिलियन व्यक्ति UPI का उपयोग कर रहे हैं।
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65 मिलियन व्यवसायी भी इससे जुड़े हैं।
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675 बैंक और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर UPI प्लेटफॉर्म पर कार्यरत हैं।
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भारत के 85% डिजिटल लेनदेन UPI से होते हैं।
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वैश्विक रीयल-टाइम डिजिटल ट्रांजैक्शन में भारत का हिस्सा 50% के करीब है।
ये आंकड़े बताते हैं कि भारत आज न केवल डिजिटल रूप से सक्षम है, बल्कि उसने डिजिटल सशक्तिकरण के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है।
डिजिटल पेमेंट ने कैसे बदली आम जिंदगी?
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छोटे दुकानदार भी डिजिटली हुए:
चाय की दुकान, पान वाले या सब्ज़ी बेचने वाला — हर कोई अब QR कोड से पेमेंट लेने लगा है।
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कैश की जरूरत कम हुई:
पर्स में नकद रखने की मजबूरी अब बीते दिनों की बात हो चुकी है।
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भ्रष्टाचार पर लगाम:
डिजिटल ट्रांजैक्शन की पारदर्शिता ने ब्लैक मनी और कर चोरी पर भी असर डाला है।
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कोविड-19 के दौरान वरदान:
महामारी के समय UPI ने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ वित्तीय लेनदेन को संभव बनाया।
UPI की सफलता का राज क्या है?
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सरलता और सुरक्षा: आम आदमी को बिना टेक्निकल जानकारी के भी इस्तेमाल करना आसान।
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सरकार और RBI का समर्थन: केंद्र सरकार ने डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए UPI को प्राथमिकता दी।
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बाजार और बैंकिंग सेक्टर की सहयोगिता।
निष्कर्ष:
भारत की UPI आधारित डिजिटल पेमेंट क्रांति ने देश को विश्व मंच पर एक नया दर्जा दिलाया है। यह न सिर्फ आर्थिक सशक्तिकरण का संकेत है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।
डिजिटल इंडिया अब सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि हर भारतीय के मोबाइल में जीवित एक सच्चाई बन चुका है। भविष्य में भी अगर इसी तरह नवाचार और विस्तार होता रहा, तो भारत जल्द ही पूरी दुनिया को डिजिटल लेनदेन का नेतृत्व देगा