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सोना बना रहा रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड, फिर क्यों गिर रहे हैं ज्वैलरी कंपनियों के शेयर, ये है कारण

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Posted On:Thursday, December 25, 2025

पिछले एक साल में सोने की कीमतों में 70% से ज्यादा का उछाल आया है, लेकिन इसके बावजूद मार्केट कैप के हिसाब से देश की टॉप 10 ज्वेलरी कंपनियों में से 8 के शेयर लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं। दिग्गज कंपनी Titan (17% तेजी) और Thangamayil Jewellery (72% तेजी) को छोड़ दें, तो बाकी सेक्टर में भारी बिकवाली देखी गई है।

ज्वेलरी शेयरों का प्रदर्शन: एक नजर में

सबसे ज्यादा मार PC Jeweller पर पड़ी है, जिसका शेयर एक साल में 44% तक टूट गया है। अन्य कंपनियों का हाल भी कुछ ऐसा ही है:

  • Senco Gold: 43.5% की गिरावट

  • Sky Gold & Diamonds: 38% की गिरावट

  • Kalyan Jewellers: 35% की गिरावट

  • हालिया लिस्टिंग (जैसे Motisons, Bluestone): इनमें भी 1% से 45% तक की गिरावट दर्ज की गई है।

आखिर क्यों नहीं बढ़ रहे ज्वेलरी कंपनियों के शेयर?

विशेषज्ञों के अनुसार, सोने की बढ़ती कीमतें ज्वेलरी कंपनियों के लिए "दोधारी तलवार" साबित हो रही हैं।

इसके पीछे तीन मुख्य कारण हैं:

  1. बढ़ती इनपुट लागत (Raw Material Cost): ज्वेलर्स के लिए सोना उनका कच्चा माल है। जब सोने के दाम बढ़ते हैं, तो उनकी वर्किंग कैपिटल की जरूरत बढ़ जाती है। माल खरीदने के लिए ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है, जिससे कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन पर सीधा दबाव आता है।

  2. वॉल्यूम में गिरावट (Sales Volume): सोना महंगा होने पर आम ग्राहक अपनी खरीदारी टाल देते हैं या कम वजन के गहने बनवाना पसंद करते हैं। शादी-ब्याह के सीजन में भी ग्राहक अब भारी सेट के बजाय 'हल्की और ट्रेंडी' ज्वेलरी की ओर रुख कर रहे हैं।

  3. लिक्विडिटी और ब्याज दरें: कर्ज लेकर बिजनेस चलाने वाली कंपनियों के लिए ब्याज दरें बढ़ना और नकदी की कमी एक बड़ी चुनौती बन गई है। हालांकि, टाइटन जैसी कंपनियों ने अपने इन्वेंट्री मैनेजमेंट और ब्रांड वैल्यू के दम पर इस संकट को बेहतर ढंग से झेला है।

बदलता उपभोक्ता व्यवहार

सोनाली शाह शेट्टी (संस्थापक, Sohnaa) के मुताबिक, भारतीय बाजार में अब एक 'शिफ्ट' देखा जा रहा है। लोग अब 22 कैरेट के पारंपरिक सोने से हटकर 18 कैरेट और 14 कैरेट की ज्वेलरी को अपना रहे हैं ताकि बजट में बने रहें। निवेश के नजरिए से लोग अब फिजिकल गोल्ड के बजाय डिजिटल गोल्ड या ईटीएफ की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं।

भविष्य की राह: अवसर या चुनौती?

भले ही फिलहाल शेयरों में दबाव हो, लेकिन ज्वेलरी सेक्टर का लॉन्ग-टर्म आउटलुक सकारात्मक है।

  • मार्केट साइज: संगठित (Organized) ज्वेलरी बाजार के 2029 तक ₹5 लाख करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।

  • निवेश सलाह: विश्लेषकों का मानना है कि निवेशकों को अभी सतर्क रहना चाहिए। केवल उन कंपनियों में निवेश करना बेहतर होगा जिनकी बैलेंस शीट मजबूत है और जिनके पास अपनी कीमतों पर नियंत्रण (Pricing Power) रखने की क्षमता है।

निष्कर्ष

सोने की कीमतों में तेजी का मतलब हमेशा ज्वेलरी कंपनियों के लिए मुनाफा नहीं होता। निवेशकों के लिए यह समझना जरूरी है कि हाई-वैल्यू कमोडिटी वाले बिजनेस में 'वॉल्यूम ग्रोथ' और 'मार्जिन' सबसे अहम होते हैं। फिलहाल टाइटन और कुछ चुनिंदा B2B प्लेयर्स ही इस सेक्टर में सुरक्षित दांव नजर आ रहे हैं।


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