मुंबई, 20 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिकी शिक्षा विभाग बंद करने के लिए एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहे हैं। ट्रम्प का यह फैसला अमेरिका में शिक्षा सुधार से जुड़े उनके एजेंडे का हिस्सा है। ट्रम्प ने हाल के दिनों में इस एजेंसी के वर्कफोर्स में भारी कटौती की है। इसके बाद भी यह एजेंसी स्कूलों के लिए फंडिंग प्रोग्राम की देखरेख कर रही है। ट्रम्प ने शिक्षा विभाग को बेकार और उदारवादी विचारधारा से प्रभावित बताया है। ट्रम्प का मानना है कि मौजूदा एजुकेशन सिस्टम छात्रों के लिए अच्छा नहीं है और इसमें कई बदलाव की जरूरत है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग का स्कूलों पर बहुत ज्यादा कंट्रोल है। ट्रम्प लोकल अधिकारियों और बच्चों के माता-पिता को ज्यादा अधिकार देना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि इससे पूरे देश में बच्चों की शिक्षा के बेहतर नतीजे सामने आएंगे।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रम्प के आदेश के बाद भी यह डिपार्टमेंट तुरंत बंद नहीं होगा। इसे बंद करने लिए अमेरिकी सीनेट (संसद का ऊपरी सदन) में 60 वोटों की जरूरत होगी, लेकिन यहां ट्रम्प की रिपब्लिकन के पास सिर्फ 53 सीटें हैं। इस डिपार्टमेंट को 1979 में अमेरिकी कांग्रेस (संसद) ने कैबिनेट स्तर की एजेंसी के तौर पर स्थापित किया था। इस डिपार्टमेंट के पास 268 अरब डॉलर डॉलर के फंडिंग प्रोग्राम की जिम्मेदारी है। यह स्टुडेंट्स के लिए लोन और स्पेशल एजुकेशन जैसे प्रोग्राम की देखरेख करती है। इसके साथ ही कम आय वाले स्कूलों को लोन भी देती है। कई एक्सपर्ट्स को लगता है कि इस फैसले से सार्वजनिक शिक्षा गलत असर पड़ सकता है। केंद्र की निगरानी को हटाने से स्कूलों में असमानता पैदा हो सकती है। कुछ लोगों का मानना है कि शिक्षा विभाग सभी छात्रों के लिए समान अवसर तय करने में जरूरी रोल निभाता है। ट्रम्प के समर्थकों का कहना है कि शिक्षा पर लोकल कंट्रोल ज्यादा बेहतर रहेगा। स्थानीय नेता, माता-पिता और स्कूल लोकल जरूरतों को बेहतर तरीके से समझते हैं। व्हाइट हाउस की तरफ से हैरिसन फील्ड्स ने मीडिया से कहा कि यह ऑर्डर माता-पिता और स्कूलों को बच्चों का रिजल्ट बेहतर करने में मदद करेगा। नेशनल असेसमेंट टेस्ट के हालिया स्कोर बताते हैं कि हमारे बच्चे पिछड़ रहे हैं। आपको बता दे, 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद से ट्रम्प कई डिपार्टमेंट में छंटनी कर चुके हैं। ट्रम्प प्रशासन ने संघीय कर्मचारियों को बायआउट करने यानी खुद से नौकरी छोड़ने का ऑफर दिया था। नौकरी छोड़ने के बदले कर्मचारियों को 8 महीने का अतिरिक्त वेतन देने की बात कही थी। इसके अलावा ट्रम्प ने USAID के तहत विदेशों को दी जाने वाली सभी तरह की मदद पर रोक लगाने का भी आदेश दिया है।