सिंगापुर में एक सरकारी इमारत में लगी भीषण आग में फंसे बच्चों की जान बचाने के लिए भारतीय प्रवासियों ने अपनी जान को जोखिम में डालते हुए साहसिक कार्य किया। इन प्रवासी श्रमिकों ने बिना समय गंवाए आग से घिरे बच्चों को बचाया और इस प्रकार उन्होंने एक अद्वितीय वीरता का परिचय दिया। खास बात यह रही कि उन बच्चों में आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण का आठ वर्षीय पुत्र मार्क शंकर पवनोविच भी शामिल था, जिसे भारतीय श्रमिकों ने सुरक्षित बाहर निकाला। यह घटना 8 अप्रैल 2024 की है, और अब सिंगापुर सरकार ने इन वीर प्रवासी भारतीयों को उनके साहसिक कार्य के लिए सम्मानित किया है।
घटना का विवरण
आग के समय, इमारत में 16 बच्चे और 6 वयस्क फंसे हुए थे। सिंगापुर में रिवर वैली रोड पर स्थित इस इमारत में अचानक आग लग गई थी, जिससे वहां घना धुआं फैल गया था। इस स्थिति में भारतीय प्रवासियों ने बड़ी सूझबूझ और बहादुरी से बच्चों को निकालने का कार्य शुरू किया। फायर ब्रिगेड के पहुंचने से पहले ही इन्होंने बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। इनमें से कुछ बच्चों के चेहरों पर कालिख के निशान थे और वे सांस लेने में भी परेशानी महसूस कर रहे थे।
इन भारतीयों को मिला सम्मान
सिंगापुर सरकार के मानव शक्ति मंत्रालय ने इंद्रजीत सिंह, सुब्रमण्यम सरनराज, नागराजन अनबरसन और शिवसामी विजयराज को उनके साहसिक कार्य के लिए ‘फ्रेंड्स ऑफ एसीई’ सिक्के प्रदान किए। मंत्रालय ने कहा कि इन श्रमिकों की सूझबूझ और बहादुरी ने बहुत कुछ बदल दिया और इसने हमें समुदाय की ताकत को याद दिलाया। इन श्रमिकों ने बिना किसी सुरक्षा उपकरण के और बिना इमारत के भीतर के बारे में कोई जानकारी होने के बावजूद, स्केफोल्ड और सीढ़ी का इस्तेमाल करते हुए बच्चों तक पहुंचने का साहसिक कदम उठाया।
बच्चों की जान बचाने की प्रक्रिया
इन प्रवासी श्रमिकों ने इमारत में घुसने के लिए अपने कार्यस्थल से स्केफोल्ड उठाया और इससे इमारत की खिड़कियों तक पहुंचने में मदद मिली। सुब्रमण्यम सरनराज और उनके सहकर्मियों ने देखा कि बच्चों के चेहरों पर कालिख के निशान थे और वे मदद के लिए चिल्ला रहे थे। बिना समय गंवाए, उन्होंने बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। इस घटना में कम से कम 10 बच्चों को बचाया गया था।
घटना के बाद की स्थिति
हालांकि, एक 10 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई लड़की की बाद में अस्पताल में मौत हो गई, लेकिन अधिकांश बच्चों की जान भारतीय प्रवासियों के साहस के कारण बच गई। यह घटना न केवल सिंगापुर बल्कि पूरे विश्व में भारतीय प्रवासियों की वीरता का प्रतीक बन गई है। सिंगापुर सरकार ने उनके अद्वितीय कार्य के लिए उन्हें सम्मानित किया और उनका आभार व्यक्त किया।
इस घटना ने यह भी साबित किया कि संकट के समय मानवता और साहस की कोई सीमाएं नहीं होतीं। इन भारतीय श्रमिकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना बच्चों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस साहसिक कार्य के कारण उनका नाम इतिहास में लिखा जाएगा।