अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सोमवार को चीनी अधिकारियों के लिए वीज़ा प्रतिबंध की घोषणा की। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बती क्षेत्रों में अमेरिकी अधिकारियों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए जिम्मेदार चीनी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। अमेरिकी राजनयिकों, पत्रकारों और अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा लंबे समय से तिब्बत में प्रवेश से वंचित रखा गया है। इसके जवाब में यह कदम उठाया गया है। इससे पहले चीनी अधिकारियों की संयुक्त राज्य अमेरिका तक सीधी पहुंच थी।
तिब्बत में प्रवेश पर सख्ती
अपने बयान में रुबियो ने कहा कि चीनी अधिकारियों ने तिब्बती क्षेत्रों में विदेशियों के प्रवेश पर प्रतिबंध कड़े कर दिए हैं। कई अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन किया है और उनके विरुद्ध अतिरिक्त वीज़ा प्रतिबंध लगाए गए हैं। 2018 में तिब्बत में प्रवेश को लेकर चीन में एक विशेष कानून पारित किया गया था। रुबियो ने कहा कि बहुत लंबे समय से सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अमेरिकी राजनयिकों, पत्रकारों और अन्य लोगों को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर रखा है, जबकि चीनी राजनयिकों और पत्रकारों को अमेरिका में सीधे प्रवेश की अनुमति है।
अमेरिकी लोगों के खिलाफ भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
रुबियो ने कहा कि अमेरिकी राजनयिक तिब्बत की यात्रा करने वाले अपने नागरिकों को सुविधाएं प्रदान नहीं करेंगे। अमेरिका ने सीसीपी से इस मामले में हस्तक्षेप करने और तिब्बत में अमेरिकी लोगों के प्रवेश से संबंधित नियमों में ढील देने को कहा है। रुबियो के अनुसार, अमेरिकी लोगों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार स्वीकार नहीं किया जाएगा। इससे पहले, अमेरिकी विदेश विभाग ने ताइवान में चीन के हस्तक्षेप की निंदा की थी।
ताइवान पर स्पष्ट रुख
ताइपे टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने ताइवान के पक्ष में बोलने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के चीन के कदम को गलत बताया है। अमेरिका ने कहा कि चीन को ताइवान समर्थकों को परेशान करना बंद करना चाहिए। चीन ताइवान को दबाने की कोशिश कर रहा है। बीजिंग की धमकियों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है।
निष्कर्ष
अमेरिका के इस नए कदम से चीन और अमेरिका के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्ते और जटिल हो सकते हैं। तिब्बत में पारदर्शिता की मांग और ताइवान के प्रति अमेरिका के स्पष्ट समर्थन ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में चीन इस पर कैसी प्रतिक्रिया देता है और वैश्विक परिदृश्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।