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मराठा आरक्षण की मांग का एक बार फिर उठा मुद्दा, म​​​नोज जरांगे आमरण अनशन पर बैठे, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Saturday, June 8, 2024

मुंबई, 08 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। मराठा आरक्षण की मांग का मुद्दा एक बार फिर उठ गया है। मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता म​​​नोज जरांगे फिर से आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा, अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो हम आने वाले विधानसभा चुनाव में सभी 288 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। इसमें सभी जाति और धर्म के उम्मीदवार शामिल होंगे। तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। उसके बाद, सरकार के पास बात करने के लिए कोई जगह नहीं होगी। मनोज जरांगे पाटिल जालना के अंतरवाली सैराट गांव में आमरण अनशन पर बैठे हैं। हालांकि, पुलिस ने उन्हें अनशन की इजाजत नहीं दी है। लोकसभा चुनाव से पहले भी दो बार (20-27 जनवरी और 10-26 फरवरी) मनोज जारंगे ने भूख हड़ताल की थी। तब महाराष्ट्र सरकार ने कुछ शर्तें मानकर अनशन खत्म करवा दिया था।

आपको बता दें, सरकार और जरांगे के बीच इन शर्तों पर बात बनीं थी - अब तक 54 लाख लोगों के कुनबी होने का प्रमाण मिला है। उन सभी लोगों को कुनबी का कास्ट सर्टिफिकेट दिया जाएगा। जरांगे ने सरकार से 4 दिनों के भीतर सर्टिफिकेट देने की मांग की थी। सरकार ने कहा है कि वंशावली मिलान के लिए एक कमेटी बनाई गई है। इसके बाद सर्टिफिकेट बांटे जाएंगे। मराठा प्रदर्शनकारियों को उन 37 लाख लोगों की जानकारी दी जाएगी, जिन्हें प्रमाणपत्र दिये जा चुके हैं। राज्य सरकार ने कहा है कि जरांगे को कुछ दिनों में यह डेटा दिया जाएगा। शिंदे कमेटी का कार्यकाल दो महीने बढ़ाया गया है। प्रदर्शनकारी इसे एक साल बढ़ाने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारी चाहते थे कि इस कमेटी को मराठाओं के कुनबी रिकॉर्ड की खोज जारी रखनी चाहिए। सरकार ने कमेटी का कार्यकाल फेज वाइज बढ़ाने का आश्वासन दिया है। आंदोलनकारियों की मांग के मुताबिक, जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, उनके करीबी रिश्तेदारों को भी कुनबी सर्टिफिकेट दिया जाएगा। सरकार इस संबंध में आदेश जारी करने के लिए तैयार हो गई है। महाराष्ट्र की विभिन्न जगहों पर मराठा आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे। गृह विभाग ने कहा है कि तय प्रक्रिया का पालन करते हुए केस वापस लिये जाएंगे। मराठाओं की मांग थी कि आरक्षण मिलने तक उनके बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाए। साथ ही आरक्षण मिलने तक सरकारी भर्तियां रोक दी जाएं या सीटें आरक्षित की जाएं। सरकार ने मांग के पहले हिस्से को नहीं माना है। राज्य सरकार सिर्फ मराठा लड़कियों को पोस्ट ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा मुहैया कराएगी। हालांकि, इसके लिए सरकारी निर्देश जारी नहीं किया गया है।


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