महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार में खेल एवं युवा कल्याण तथा अल्पसंख्यक मंत्री रहे एनसीपी नेता माणिकराव कोकाटे को शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने वर्ष 1995 से जुड़े धोखाधड़ी और जालसाजी के एक पुराने मामले में उन्हें जमानत दे दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई दो साल की सजा पर भी रोक लगा दी है। इस फैसले के बाद माणिकराव कोकाटे को फिलहाल जेल नहीं जाना पड़ेगा और वे आगे की कानूनी प्रक्रिया जमानत पर रहकर पूरी कर सकेंगे।
हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे समय आया है, जब एक दिन पहले ही माणिकराव कोकाटे ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। गुरुवार को उन्होंने महाराष्ट्र सरकार में अपने पद से हटने का फैसला किया था। इस इस्तीफे को लेकर एनसीपी के प्रमुख और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सार्वजनिक रूप से बयान जारी किया था। अजित पवार ने कहा था कि “महाराष्ट्र के मंत्री और मेरे सहयोगी माणिकराव कोकाटे ने न्यायालय के फैसले के बाद मुझे अपना इस्तीफा सौंप दिया है।”
अजित पवार का बयान: विधि का शासन सर्वोपरि
माणिकराव कोकाटे के इस्तीफे पर अजित पवार ने स्पष्ट किया कि यह फैसला पार्टी की उस विचारधारा के अनुरूप है, जिसमें कानून के शासन को सर्वोच्च माना जाता है। उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी की दीर्घकालिक सोच रही है कि विधि का शासन सर्वोपरि है और कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। इसी सिद्धांत के तहत माणिकराव कोकाटे का इस्तीफा सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किया गया है।”
अजित पवार ने आगे कहा कि एनसीपी हमेशा से यह मानती आई है कि सार्वजनिक जीवन संवैधानिक नैतिकता, संस्थागत अखंडता और न्यायपालिका के प्रति सम्मान से संचालित होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी लोकतांत्रिक मूल्यों और जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और आगे भी इसी रास्ते पर चलती रहेगी।
1995 का मामला क्या है?
माणिकराव कोकाटे के खिलाफ जिस मामले में सजा सुनाई गई थी, वह वर्ष 1995 का बताया जाता है। इस केस में उन पर धोखाधड़ी और जालसाजी से जुड़े आरोप लगे थे। निचली अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। हालांकि, इस फैसले के खिलाफ कोकाटे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने अब इस अपील पर सुनवाई करते हुए उन्हें जमानत दे दी है और सजा पर रोक लगा दी है। इसका मतलब यह है कि अंतिम फैसला आने तक उनकी सजा प्रभावी नहीं रहेगी।
पांच बार के विधायक रहे हैं कोकाटे
माणिकराव कोकाटे महाराष्ट्र के नाशिक जिले की सिन्नर विधानसभा सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं। उनका राजनीतिक करियर काफी लंबा रहा है और वे राज्य की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं। हालांकि, उनके राजनीतिक जीवन में निष्ठा बदलने का इतिहास भी रहा है, जिसको लेकर वे पहले भी चर्चा में रह चुके हैं।
खेल एवं युवा कल्याण और अल्पसंख्यक मंत्री के रूप में उन्होंने सरकार में अहम जिम्मेदारियां संभाली थीं। लेकिन जैसे ही अदालत का फैसला सामने आया, उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मंत्री पद से इस्तीफा देना उचित समझा।
राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज
बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। एक ओर जहां एनसीपी इसे कानून के सम्मान का उदाहरण बता रही है, वहीं विपक्षी दल इस पूरे मामले को लेकर सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। आने वाले दिनों में यह मामला राजनीतिक बहस का बड़ा मुद्दा बना रह सकता है।
फिलहाल, हाईकोर्ट से मिली राहत के बाद माणिकराव कोकाटे को कानूनी मोर्चे पर थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन उनका राजनीतिक भविष्य अब अदालत के अंतिम फैसले और पार्टी के अगले कदमों पर निर्भर करेगा।