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चांद-मंगल मिशन के लिए बने स्टारशिप का टेस्ट कामयाब, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Thursday, June 6, 2024

मुंबई, 06 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। चांद-मंगल मिशन के लिए बने दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप का चौथा टेस्ट सक्सेसफुल रहा। इसे आज यानी, 6 जून को टेक्सास के बोका चिका से लॉन्च किया गया। इसमें स्टारशिप को स्पेस में ले जाने के बाद वापस पृथ्वी पर लाया गया और हिंद महासागर में कामयाब लैंडिंग कराई गई। इस बार के टेस्ट का मेन गोल यह देखना था कि स्टारशिप पृथ्वी के वातावरण में एंट्री के दौरान सर्वाइव कर पाती है या नहीं। स्टारशिप को बनाने वाली कंपनी स्पेसएक्स ने  एक्स पर लिखा, पानी में लैंडिंग सक्सेसफुल रही। स्टारशिप के रोमांचक चौथे उड़ान परीक्षण के लिए पूरी स्पेसएक्स टीम को बधाई। वहीं इस टेस्ट के बाद कंपनी के मालिक इलॉन मस्क ने अपनी एक्स पोस्ट में कहा, कई टाइलों के नुकसान और एक डैमेज्ड फ्लैप के बावजूद स्टारशिप ने समुद्र में सॉफ्ट लैंडिंग की पूरी राह तय कर ली! इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए स्पेसएक्स टीम को बधाई।

आपको बता दें, दुनिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने इस रॉकेट को बनाया है। स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी बूस्टर को कलेक्टिवली 'स्टारशिप' कहा जाता है। इस व्हीकल की ऊंचाई 397 फीट है। ये पूरी तरह से रीयूजेबल है और 150 मीट्रिक टन भार ले जाने में सक्षम है। स्टारशिप सिस्टम 100 लोगों को एक साथ मंगल ग्रह पर ले जा सकेगा। यह मिशन 1:05 घंटे का था। इस टेस्ट में स्टारशिप को स्पेस में ले जाया गया, फिर पृथ्वी पर वापस लाकर पानी पर लैंड कराया गया। यह एक रीयूजेबल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम है। स्टारशिप में 6 रैप्टर इंजन लगे हैं, जबकि सुपर हैवी में 33 रैप्टर इंजन है। स्पेसएक्स ने कहा था, सेपरेशन स्टेज से पहले ही इसका एक हिस्सा अचानक अलग हो गया, जबकि यह तय नहीं था। इस तरह के एक टेस्ट के साथ हम जो सीखते हैं, उससे सफलता मिलती है। आज का टेस्ट हमें स्टारशिप की रिलायबिलिटी में सुधार करने में मदद करेगा। टीमें डेटा को रिव्यू करना जारी रखेंगीं और अगले फ्लाइट टेस्ट की दिशा में काम करेंगीं। स्टारशिप सिस्टम की हाइट 397 फीट है, डायामीटर 9 मीटर है, और इसकी पेलोड कैपेसिटी 100 से 150 मीट्रिक टन है। 

तीसरा टेस्ट: रीएंट्री के बाद स्टारशिप से संपर्क टूटा था
स्पेसएक्स ने बताया था कि स्टारशिप रीएंट्री के दौरान सर्वाइव नहीं कर पाया, लेकिन उसने उड़ान के दौरान कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं। वहीं इलॉन मस्क ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस साल आधा दर्जन स्टारशिप उड़ान भरेंगी। स्टारशिप ने ऑर्बिट में पहुंचने के बाद पेलोड डोर को खोला और बंद किया। रॉकेट के भीतर दो टैंकों के बीच कई टन तरल ऑक्सीजन को मूव किया। स्टारशिप की पृथ्वी के वातावरण में रीएंट्री कराई गई, लेकिन संपर्क टूट गया।

दूसरा टेस्ट: स्टेज सेपरेशन के बाद खराबी आ गई थी
स्टारशिप का दूसरा टेस्ट 18 नवंबर 2023 को शाम करीब 6:30 बजे किया गया था। लॉन्चिंग के करीब 2.4 मिनट बाद सुपर हैवी बूस्टर और स्टारशिप का सेपरेशन हुआ। बूस्टर को वापस पृथ्वी पर लैंड होना था, लेकिन 3.2 मिनट बाद 90 Km ऊपर यह फट गया। वहीं स्टारशिप तय प्लान के अनुसार आगे बढ़ गया। करीब 8 मिनट बाद पृथ्वी से 148 Km ऊपर स्टारशिप में भी खराबी आ गई, जिस कारण उसे नष्ट करना पड़ा। फ्लाइट टर्मिनेशन सिस्टम के जरिए इसे नष्ट किया गया था। दूसरे टेस्ट में रॉकेट और स्टारशिप को अलग करने के लिए पहली बार हॉट स्टैगिंग प्रोसेस का इस्तेमाल किया गया था, जो पूरी तरह सक्सेसफुल रही थी। सभी 33 रैप्टर इंजनों ने भी लॉन्च से सेपरेशन तक ठीक से फायर किया था।

पहला टेस्ट: लॉन्चिंग के 4 मिनट बाद विस्फोट हो गया था
20 अप्रैल 2023 को स्टारशिप का पहला ऑर्बिटल टेस्ट किया गया था। इस टेस्ट में बूस्टर 7 और शिप 24 को लॉन्च किया गया था। उड़ान भरने के 4 मिनट बाद ही मेक्सिको की खाड़ी के पास 30 किलोमीटर ऊपर स्टारशिप में विस्फोट हो गया था। स्टारशिप के फेल होने के बाद भी एलन मस्क और एम्प्लॉइज खुशी मना रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि रॉकेट का लॉन्च पैड से उड़ना ही बड़ी सफलता थी। मस्क ने लॉन्चिंग से दो दिन पहले कहा था- सफलता शायद मिले, लेकिन एक्साइटमेंट की गारंटी है।


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