मुंबई, 02 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि जब भारत आतंकवाद के खिलाफ अपने संदेश को दुनियाभर में पहुंचाने के मिशन पर होता है, उस समय देश में राजनीतिक वफादारी का आकलन किया जा रहा है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल हो गया है। उनका यह बयान पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना के बीच आया है, जिसे कांग्रेस के आधिकारिक रुख से हटकर माना जा रहा है। दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 1 मई को प्रधानमंत्री मोदी को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर खुद की तारीफ करने से बचने की सलाह दी थी और कहा था कि उन्हें दुश्मन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वहीं कांग्रेस ने सैन्य और विदेश नीति पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की भी मांग की थी। पार्टी का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा तैयारियों और रणनीति पर सभी दलों को विश्वास में लिया जाना चाहिए। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि प्रधानमंत्री या रक्षा मंत्री को विपक्षी नेताओं को यह बताना चाहिए था कि जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में क्या कहा है।
सलमान खुर्शीद फिलहाल ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रखने के लिए विदेशी दौरे पर गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, जिसकी अगुवाई जेडीयू सांसद केसी त्यागी कर रहे हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के बृज लाल, हेमंग जोशी, अपराजिता सारंगी, टीएमसी के अभिषेक बनर्जी, सीपीआईएम के जॉन ब्रिटास और पूर्व राजदूत मोहन कुमार जैसे नेता शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर का दौरा कर चुका है और इस समय मलेशिया में है। 1 मई को कुआलालंपुर में सलमान खुर्शीद ने कहा था कि भारत का ऑल पार्टी डेलिगेशन विविधता के साथ-साथ एकता का प्रतीक है क्योंकि विभिन्न दलों से होने के बावजूद सभी सदस्य आतंकवाद की निंदा करने के लिए एकजुट हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल एकजुटता का संदेश लेकर आया है जिसमें अलग-अलग राजनीतिक, क्षेत्रीय और धार्मिक पृष्ठभूमि के लोग एक स्वर में भारत का पक्ष रख रहे हैं। खुर्शीद ने जोर देते हुए कहा था कि जब राष्ट्र और मातृभूमि की बात आती है तो सभी मतभेदों को भुलाकर एक स्वर में बोलना ही हमारी असली प्रतिबद्धता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में रोजमर्रा की राजनीति चलती रहती है, लेकिन जब बात देश की सुरक्षा की आती है, तो नेता राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर देश की सेवा में जुट जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब सैनिक सीमा पर तैनात होते हैं तो उनका सिर्फ एक ही मकसद होता है—भारत माता की रक्षा करना।