मुंबई, 14 फरवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। जोधपुर में एक सरकारी स्कूल की लेक्चरर ने अपने ही प्रिंसिपल के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की, जिस पर शिक्षा विभाग ने आरोपी को एपीओ कर दिया। वहीं, पीड़ित लेक्चरर का 800 किलोमीटर दूर ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद अनमैरिड लेक्चरर ने विभाग के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट की शरण ली। इसमें महिला ने बताया कि पहले तो उसे प्रिंसिपल ने प्रताड़ित किया और सरकार भी उसका उत्पीड़न कर रही है। पीड़िता की पूरी बात सुनने के बाद हाई कोर्ट ने इस मामले में उस लेक्चरर के तबादले पर रोक लगाते हुए पुरानी स्कूल में ही ड्यूटी करने के निर्देश दिए। मामले में अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी।
दरअसल, एक महिला लेक्चरर ने अपने स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उसकी शिकायत के आधार पर विभागीय जांच हुई। जांच टीम ने प्रिंसिपल को दोषी मानते हुए उसे पदस्थापन की प्रतीक्षा (एपीओ) कर दिया गया। इसके बाद विभाग ने उस स्कूल से हटाने के लिए 27 नवंबर 2024 को पीड़ित लेक्चरर को भी एपीओ करने का आदेश जारी कर प्रताड़ित किया। पीड़ित लेक्चरर ने न्यायालय को बताया कि उसे एपीओ करने के बाद एक और आदेश जारी किया गया। 23 दिसंबर 2024 को जिसमें उसे ऐसे स्कूल में ट्रांसफर कर दिया गया, जो उसके वर्तमान पदस्थापन से करीब 800 किलोमीटर दूर है। जबकि, वह स्वयं अविवाहित है और उसकी विधवा मां, जो हार्ट की बीमारी से जूझ रही है। इस संबंध में सुनवाई के बाद जस्टिस अरुण मोंगा ने उसकी याचिका पर सचिव, शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षा निदेशक व सहायक निदेशक, बीकानेर तथा अनूपगढ़ जिले के एक मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को उसके वर्तमान संस्थान/पदस्थापना स्थल पर ही कर्तव्यों का निर्वहन करने की अनुमति दी जाएगी। यदि उसे औपचारिक रूप से कार्यमुक्त कर दिया गया है, तो यह उसकी रिपोर्टिंग/वापस ड्यूटी पर आने में बाधा नहीं बनेगा।