मुंबई, 08 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारतीय सैन्य बलों की विशेष कमांडो इकाइयों के लिए संयुक्त युद्ध सिद्धांत तैयार किया गया है। यह दस्तावेज थल सेना की स्पेशल फोर्स, नौसेना के मार्कोस और वायुसेना की गरुड़ कमांडो फोर्स की संयुक्त रणनीति को स्पष्ट करता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई इस पहल में तीनों सेनाओं की विशेष टुकड़ियों की तैयारी और उनकी भूमिका का हर पहलू तय किया गया है। दस्तावेज में यह निर्धारित किया गया है कि यदि कोई देश या उसके संरक्षण में पल रहे आतंकी भारत विरोधी कार्रवाई करते हैं तो उनके खिलाफ इन विशेष बलों को कैसे तैनात किया जाएगा। युद्धकाल में इनकी जिम्मेदारियों और शांतिकाल में निभाई जाने वाली भूमिका को भी स्पष्ट किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य दुश्मन के सामरिक महत्व वाले ठिकानों पर घुसकर हमला करने और उनकी युद्ध क्षमता को ध्वस्त करने की रणनीति तैयार करना है। साथ ही ऐसी योजनाएं बनाई गई हैं जिनसे विरोधी देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़े और उसका युद्ध छेड़ने का मनोबल टूट जाए।
इस सिद्धांत से भारतीय कमांडो फोर्सेज को अमेरिका की डेल्टा फोर्स और नेवी सील्स, रूस की स्पेत्सनाज और इजराइल की सयरेट मतकाल जैसी विश्वप्रसिद्ध स्पेशल फोर्सेज की श्रेणी में खड़ा करने का लक्ष्य है। ये फोर्सेज अपने दुश्मन के घर में घुसकर सटीक वार करने के लिए जानी जाती हैं। भारतीय थल सेना की नौ बटालियन पैरा स्पेशल फोर्स सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक और बंधक मुक्ति अभियानों में दक्ष मानी जाती हैं। नौसेना के मार्कोस समुद्री युद्ध, पानी के भीतर तोड़फोड़ और तटीय सुरक्षा में माहिर हैं। वहीं, वायुसेना की गरुड़ यूनिट, जिसका गठन 2004 में हुआ था, एयरबेस सुरक्षा, एयरबॉर्न स्ट्राइक, दुश्मन के एयरफील्ड पर हमले और सर्च-एंड-रेस्क्यू ऑपरेशनों में विशेषज्ञ है। यह दस्तावेज थल, जल और नभ में भारतीय बलों की ताकत को और अधिक संगठित करेगा।