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मोहन भागवत से मिले भाजपा अध्यक्ष नड्‌डा, औरंगजेब पर RSS ने कहा, धार्मिक आरक्षण नामंजूर, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Sunday, March 23, 2025

मुंबई, 23 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनावी प्रक्रिया के बीच रविवार को जेपी नड्‌डा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक ये बैठक बेंगलुरु में हुई। यहां 21 मार्च से RSS की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक चल रही थी। बैठक का आज आखिरी दिन था। सूत्रों के मुताबिक भागवत के साथ हुई मुलाकात में नड्‌डा ने पार्टी संगठन के चुनाव को लेकर चर्चा की। नड्‌डा 2020 में पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाए गए थे। उनका कार्यकाल जनवरी 2023 में खत्म हो गया था। इसके बाद लोकसभा, आंध्र, अरुणाचल, सिक्किम, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनाव की वजह से उन्हें एक्सटेंशन दिया गया। लोकसभा चुनाव में पार्टी की लगातार तीसरी जीत के बाद नड्‌डा केंद्र सरकार में मंत्री बनाए गए। एक व्यक्ति एक पद के मुताबिक उनकी जगह अब नया अध्यक्ष चुना जाना है। पार्टी के संविधान के मुताबिक 50 प्रतिशत राज्यों के संगठनात्मक चुनाव पूरा हो जाने के बाद नए अध्यक्ष का चुनाव होता है। अभी 36 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों में से 13 में ही प्रदेश अध्यक्ष चुने गए हैं।

इधर, RSS की प्रतिनिधि सभा की बैठक की समाप्ति के बाद RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद पर अपना पक्ष रखा। होसबाले ने कहा, औरंगजेब जैसे आक्रांता हमारे आइकॉन नहीं हो सकते। हमलावर सोच देश के लिए खतरा है। इस पर चिंतन की जरूरत है। होसबाले ने कर्नाटक में सरकारी कॉन्ट्रैक्ट में 4% मुस्लिम आरक्षण पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, डॉ. भीमराव अंबेडकर के लिखित संविधान में धर्म आधारित आरक्षण स्वीकार नहीं किया गया है। कर्नाटक सरकार ने हाल ही में आरक्षण को लेकर बिल पास किया है। कर्नाटक में भाजपा शासन के दौरान सरकार पर संघ का दबाव था। क्या मंत्रियों के निजी सहायक के रूप में संघ के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए दबाव बनाया जाता था। इस पर होसबाले ने कहा, नियुक्ति के लिए कभी दबाव नहीं डाला गया।

RSS के शताब्दी समारोह को लेकर होसबाले ने कहा, RSS का शताब्दी वर्ष कोई उत्सव नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण, स्वीकृति और समाज को संगठित करने के लिए खुद को फिर से समर्पित करने का अवसर है। उन्होंने 2025-2026 के लिए संघ के कार्यक्रमों की भी घोषणा की। महाराणा प्रताप का संघर्ष भी स्वतंत्रता संग्राम था। अगर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ाई स्वतंत्रता संग्राम मानी जाती है, तो उससे पहले के आक्रमणकारियों के खिलाफ संघर्ष भी स्वतंत्रता संग्राम था। यह धर्म का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह तय करने की बात है कि भारत की परंपराओं और मूल्यों के अनुरूप कौन है। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर प्रतिक्रिया देते हुए होसबाले ने कहा कि सरकार ने वक्फ मामलों की जांच के लिए एक आयोग बनाया है। उन्होंने कहा, अब तक जो हुआ, वह सही दिशा में हुआ है। आगे जो होगा, उसे देखना होगा।


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