सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर को मंगलवार को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा की अवधि 21 अप्रैल 2025 तक बढ़ा दी है। खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2022 में OBC और दिव्यांग आरक्षण का गलत लाभ उठाकर परीक्षा पास की, और अपने आवेदन में झूठी जानकारी दी।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने खेडकर के वकील द्वारा दी गई दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। पीठ ने कहा कि खेडकर की ओर से दाखिल जवाब रिकॉर्ड पर नहीं आया है, और शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को इसे सत्यापित करने का निर्देश दिया गया है। इसी के साथ, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को निर्धारित की है।
🧑⚖️ गिरफ्तारी से संरक्षण में विस्तार
अदालत ने खेडकर के वकील की इस दलील को स्वीकार किया कि उन्हें पहले 15 जनवरी को गिरफ्तारी से सुरक्षा दी गई थी, जिसे अब अगली सुनवाई तक बढ़ा दिया गया है। इससे पहले 18 मार्च को अदालत ने मौखिक रूप से कहा था कि एक ही उम्मीदवार "सक्षम" और "दिव्यांग" दोनों श्रेणियों के तहत परीक्षा पास करने का प्रयास नहीं कर सकती।
🕵️♂️ जांच एजेंसियों की मांग और दलीलें
दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने अदालत को बताया कि यह मामला सिर्फ खेडकर तक सीमित नहीं है, बल्कि एक बड़े फर्जीवाड़े की आशंका है जिसमें फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाकर UPSC परीक्षा में लाभ लिया गया। उन्होंने कहा कि बिचौलियों की भूमिका की जांच के लिए खेडकर से हिरासत में पूछताछ जरूरी है।
खेडकर की ओर से पेश अधिवक्ता बीना माधवन ने जवाब में कहा कि उनकी मुवक्किल ने जांच एजेंसी को पहले ही सूचित कर दिया है कि वह जांच में पूरा सहयोग देने को तैयार हैं।
📑 हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
दिल्ली हाईकोर्ट ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मजबूत साक्ष्य हैं। अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में सिस्टम में हेरफेर की "बड़ी साजिश" की संभावना है, जिसकी पूरी जांच जरूरी है। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी से राहत देना जांच पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।
🕰️ अब तक की कानूनी कार्रवाई
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12 अगस्त 2024: दिल्ली हाईकोर्ट ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी कर उन्हें अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था।
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इसके बाद से उन्हें गिरफ्तारी से समय-समय पर अंतरिम सुरक्षा मिलती रही है।
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15 जनवरी 2025: सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया और दिल्ली सरकार व UPSC से जवाब मांगा।
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अब सुप्रीम कोर्ट ने यह सुरक्षा 21 अप्रैल तक बढ़ा दी है।
👮♀️ UPSC और दिल्ली पुलिस की कार्रवाई
UPSC ने खेडकर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने फर्जी पहचान के सहारे परीक्षा में हिस्सा लिया। दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें धोखाधड़ी, दस्तावेजों की जालसाजी जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।
📌 निष्कर्ष
पूजा खेडकर का मामला न केवल UPSC जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि आरक्षण नीति के दुरुपयोग पर भी गंभीर चिंताएं दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम राहत के साथ अब निगाहें 21 अप्रैल की सुनवाई पर टिकी हैं, जिसमें यह तय होगा कि खेडकर को गिरफ्तारी से स्थायी राहत मिलेगी या उन्हें जांच एजेंसी के समक्ष पेश होना होगा।