दुनिया में करोड़ो लोगो के बीच कुछ लोग ऐसा महान कार्य करते है की वो लोगो के दिल में अमर होजाते है | ऐसेही ज़िंदा दिल जिसने अपनी पूरी ज़िन्दगी कुष्टरोगियो और ज़रूरतमंदो के नाम कर दिआ वो शक़्स है बाबा आम्टे |
समाजसेवी बाबा आमटे का जन्म 26 दिसंबर, 1914 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के हिंगनघाट में एक धनी परिवार में हुआ था। बाबा आमटे के पिता देवीदास ब्रिटिश भारत के प्रशासन में शक्तिशाली नौकरशाह थे। बाबा आमटे के पिता देवीदास वर्धा जिले के धनी जमींदार थे। बाबा आमटे की माता का नाम लक्ष्मीबाई आमटे था।
बाबा आमटे ने एमए.एलएलबी तक की पढ़ाई की। बाबा आमटे की पढ़ाई क्रिस्चियन मिशन स्कूल नागपुर में हुई। इसके बाद बाबा आमटे ने नागपुर यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई की और कई दिनों तक वकालत भी की थी। बाबा आमटे ने अपने पैतृक शहर में भी वकालत की थी जो कि काफी सफल रही थी।
स्वंत्रता सैनानी बननेकी भावना उन्हें महात्मा गाँधी और विनोभा भावे को देखकर आयी उनसे वो काफी प्रभावित थे | इन् दो महान व्यक्तियो के साथ मिलकर बाबा आम्टे ने भारत के गांव गांव का दौरा किआ और जाना गांवों मे अभावों में जीने वालें लोगों की असली समस्या | बाबा आमटे ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में भी खुलकर भाग लिया। बाबा आमटे ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में होने वाले बड़े आंदोलनों में भाग लिया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त, 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू हुआ था। इस आन्दोलन के दौरान बाबा आमटे ने पूरे भारत में बंद लीडरों का केस लड़ने के लिए वकीलों को संगठित किया था।बाबा आम्टे के जीवन मे पूरी तरह परिवर्तन होगया जब उन्होंने एक कुष्टरोगी को देखा |
35 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी वकालत को छेड़कर समाजसेवा शुरू कर दी थी। उन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए आनंदवन नामक संस्था की स्थापना की थी। समाजसेवी बाबा आमटे का 9 फरवरी, 2008 को 94 साल की आयु में उनकी मृत्यू होगई |
Posted On:Sunday, April 11, 2021